Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Chapter 5 जीवन की अवधारणा
Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Chapter 5 जीवन की अवधारणा
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
पृथ्वी के पश्चात् हमारे सौर मण्डल में कौन-से ग्रह पर जीवन सम्भव ह?
(अ) बुध
(ब) बृहस्पति
(स) शुक्र
(द) मंगल।
उत्तर:
(द) मंगल।
प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा गुण निर्जीवों में नहीं पाया जाता
(अ) प्रजनन
(ब) विकास
(स) वृद्धि
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 3.
ओपेरिन के सिद्धान्त द्वारा जीव की उत्पत्ति को कितने चरणों में विभाजित किया गया ह?
(अ) 5
(ब) 6
(स) 7
(द) 8
उत्तर:
(स) 7
प्रश्न 4.
जीव जननवाद किसके द्वारा दिया गया है ?
(अ) ओपेरिन
(ब) फ्रांसिस्को रेडी
(स) वान हैल्मोंट
(द) लीबिग।
उत्तर:
(ब) फ्रांसिस्को रेडी
प्रश्न 5.
17 अप्रैल, 2014 को खोजे गये पृथ्वी के समान ग्रह का नाम है
(अ) केपलर 186f
(ब) केपलर 452a
(स) केपलर 1866g
(द) केपलर 452b
उत्तर:
(अ) केपलर 186f
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 6.
स्वतः जननवाद को किस वैज्ञानिक द्वारा खण्डित किया गया ?
उत्तर:
स्वत: जननवाद को लुई पाश्चर ने खण्डित किया।
प्रश्न 7.
पृथ्वी से समानता दशनि वाले दो ग्रह कौन से हैं ?
उत्तर:
केपलर 452b (Kepler 452b) तथा केपलर 186f (Kepler 186f)
प्रश्न 8.
कास्मोजोइक सिद्धान्त किस वैज्ञानिक द्वारा प्रतिपादित किया गया।
उत्तर:
लीबिग, कैल्विन व आरिनियस ने कॉस्मोजोइक मत को प्रतिपादित किया। लेसली ऑरगेल ने इसका समर्थन किया।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 9.
सजीव व निर्जीव में अन्तर को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
सभी सजीव एक जीवित मशीन की भाँति हैं वे निम्नलिखित गुण प्रदर्शित करते हैं- सभी सजीव उपापचय (metabolism) करते हैं। पोषण, श्वसन, उत्सर्जन आदि जैव प्रक्रमों का आभार जीवों का उपापचय ही हैं। निर्जीवों में उपापचय का अभाव होता हैं। जीवों में कोशिकीय संरचना व संगठन पाया जाता है। निर्जीव कोशिकारहित होते हैं।
- आन्तरिक वृद्धि (internal growth) सजीवों का लक्षण है, निर्जीव वृद्धि प्रदर्शित नहीं करते।
- उत्तेजनशीलता (Irritability) अर्थात् किसी उत्तेजना के प्रति अनुक्रिया (response) प्रदर्शित करना सजीव का गुण है।
- प्रजनन (reproduction) सजीवों को विशिष्ट गुण है। निर्जीवों में इसका सर्वथा अभाव होता है। अतः अमीबा, तितली, केचुआ, मेढक, बन्दर आदि सजीव हैं क्योंकि वह उपर्युक्त गुण प्रदर्शित करते हैं। मेज-कुस, कार, मकान आदि निजींव हैं, जिनमें इन गुणों का अभाव होता है।
प्रश्न 10.
मिलर के प्रयोग को चित्र द्वारा समझाइये।
उत्तर:
मिलर का प्रयोग ऑपेरिन व हाल्डेन की परिकल्पना को वैज्ञानिक पुष्टि करने के लिए मिलर ने सन् 1953 में एक प्रयोग किया। उन्होंने प्रयोगशाला में आद्य पृथ्वी (primitive earth) की परिस्थितियों की पुनर्रचना की। इसके लिए उन्होंने काँच के एक विशिष्ट उपकरण के एक कक्ष (फ्लास्क) में हाइड्रोजन,
अमोनिया, मीथेन का मिश्रण लिया। इस कक्ष तक वह गर्म जल वाष्प नलिकाओं द्वारा पहुँचाते रहे। गैसीय कक्ष में लगे इलेक्ट्रो में विद्युत स्पार्क द्वारा व ऊष्मा के रूप में ऊर्जा प्रदान की गई। इस गैसीय कक्ष से काँच की नलिकाओं द्वारा जुड़े दूसरे कक्ष में उन्होंने संघनित द्रव को एकत्रित किया। एक सप्ताह बाद इस द्रव का विश्लेषण करने पर ज्ञात हुआ कि इसमें एलानिन, ग्लाइसीन, ग्लिसरॉल व अन्य कार्बनिक पदार्थ थे। इस प्रयोग से यह निष्कर्ष निकला कि आज से 3-4 अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी पर जीवन का उद्भव इसी प्रकार रासायनिक विकास (Chemical evolution) की प्रक्रिया द्वारा हुआ होगा।
प्रश्न 11.
जीव जननवाद का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जीव जननवाद या जीवात जीवोत्पत्ति मत (Biogenesis) का प्रारम्भ इटली के वैज्ञानिक फ्रांसिस्को ईडी ने किया। उन्होंने सरल प्रयोगों की एक श्रृंखला में बताया कि जीवन, पूर्व उपस्थित जीवन से ही उत्पन्न होता हैं। अर्थात् जीव की उत्पत्ति जीव से ही सम्भव है। उनके प्रयोग स्वत: जननवाद का मजबूती से खण्डन नहीं कर पाये। अत: स्वत: जननवाद का खण्डन करने व जीवात जीवोत्पत्ति मत को प्रतिपादित करने का श्रेय लुई पाश्चर को दिया जाता है। (IV)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
जीवन की उत्पत्ति से सम्बन्धित सभी परिकल्पनाओं के नाम बताइए तथा उनमें से किसी एक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्न परिकल्पनाओं का प्रतिपादन विभिन्न वैज्ञानिकों ने समय-समय पर किया है। इनमें से प्रमुख परिकल्पनाएँ निम्न हैं
(a) धार्मिक अवधारणाएँ या विशिष्ट सृष्टिवाद (The theory of special creation)
(b) ब्रह्माण्डीय या बाह्य स्थलीय उत्पत्ति या कास्मोजोइक सिद्धान्त (Cosmozoic theory)
(c) स्वत: जननवाद (Theory of Spontaneous generation)
(d) जीव जननवाद या जीवात् जीवोत्पत्ति मत (Theory of Biogenesis)
(e) औपेरिन का सिद्धान्त या जैव रासायनिक विकास (Biochemical evolution)
इनमें से जैव रासायनिक विकास का सिद्धान्त वैज्ञानिक कसौटियों पर सर्वाधिक खरा उतरता है। आद्य पृथ्वी (primitive earth) के अमौनिया, मीथेन, हाइड्रोजन व जलवाष्प जैसे सरल पदार्थों से भरे अपचायक वायुमण्डल (reducing atmosphere) में कुछ सरल कार्बनिक पदार्थों की उत्पत्ति हुई। इन पदार्थों के बनने के लिए ऊर्जा ऊष्मा (heat) आकाशीय विद्युत से प्राप्त हुई। इन सरल कार्बनिक पदार्थों ने जटिल कार्बनिक पदार्थ, जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, लिपिड, नाभिकीय अम्ल प्रोटीन का निर्माण किया होगा। इन्हीं पदार्थों की आपस में क्रिया से समुद्र में आद्य कोशिका (primitive cell) की उत्पत्ति हुई होगी। इस आद्य कोशिका से ही सुविकसित कोशिका व बहुकोशिकीय जीवों का विकास हुआ। चूंकि प्रथम आद्य कोशिका का विकास सरल रासायनिक पदार्थों से हुआ अत: इस सिद्धान्त को जैव रासायनिक विकास कहा जाता है।
प्रश्न 13.
जीव के उत्पत्ति सम्बन्धित ओपेरिन के सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर:
ओपेरिन का सिद्धान्त रूसी वैज्ञानिक औपेरिन ने बताया कि लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व ब्रह्माण्ड में पृथ्वी का निर्माण हुआ। उन्होंने जैव रासायनिक विकास के सिद्धांत को जीवन की उत्पत्ति का आधार माना। जीव की उत्पत्ति की पूरी प्रक्रिया को ओपेरिन द्वारा 7 चरणों में विभाजित किया गया।
- प्रथम चरण-आदिकालीन पृथ्वी का तापमान 500096000°C था। इसमें हाइड्रोजन, कार्बन, ऑक्सीजन अणु प्रचुर मात्रा में थे। इन्हीं की आपसी क्रियाओं द्वारा जल, अमोनिया व मीथेन जैसे यौगिकों का निर्माण हुआ।
- द्वितीय चरण-हाइड्रोजन के बाहुल्य के कारण पृथ्वी का प्रारम्भिक वातावरण अपचायक था। करोड़ों वर्ष बाद पृथ्वी का तापमान कम होने के साथ मीथेन के संघनन से सरल हाइड्रोकार्बन का निर्माण होने लगा। इन्हीं सरल अणुओं से शर्करा, ग्लिसरीन, वसा अम्ल, एमीनो अम्ल, पिरिमिडीन व प्यूरीन जैसे जटिल कार्बनिक अणुओं का निर्माण हुआ।
- तृतीय चरण-रासायनिक संश्लेषण द्वारा बने जटिल कार्बनिक यौगिक-समूह जल में गरम सूप की तरह उबलने लगे और इन्हीं के संयोग से कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन एवं न्यूक्लिक अम्लों।
- चतुर्थ चरण-तृतीय चरण में बने अति जटिल कार्बनिक यौगिकों की परस्पर अभिक्रियाओं के फलस्वरूप न्यूक्लिओप्रोटीन्स और अन्य जटिल दीर्घ अणुओं का निर्माण हुआ। कुछ विशिष्ट न्यूक्लिओप्रोटीन्स में अनुलिपिकरण की क्षमता थी जिसके फलस्वरूप जनन संभव हो सका।
- पाँचवाँ चरण-इस चरण में प्रथम कोशिका का उद्भव हुआ। समुद्री जल में उपलब्ध खाद्य पदार्थों की कमी होने पर न्यूक्लिओप्रोटीन्स के बीच प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गई उत्परिवर्तन के कारण बने नये न्यूक्लियोप्रोटीन्स के चिपचिपे होने के कारण वे प्रोटीन समूहों में एकत्रित होने लगे।
- छठयाँ चरण-इस चरण में पोषण विधि का विकास हुआ। परजीवी, मृतोपजीवी, रसायन संश्लेषी तथा प्रकाश संश्लेषी आदि जीवों का निर्माण प्रारंभ हुआ।
- सातवाँ चरण-प्रकाश संश्लेषी जीवों की संख्या में कृमिक वृद्धि के फलस्वरूप समुद्र च वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगी। मुक्त 0, ने मीथेन व अमोनिया के साथ क्रिया की जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन गैस बनी। इस प्रकार आदिकालीन वायुमण्डले आधुनिक वायुमंडल में परिवर्तित हो गया।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
उपापचय प्रदर्शित करते हैं
(अ) सभी निर्जीव
(ब) सभी कोशिकीय सजीव
(स) सभी विषाणु
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ब) सभी कोशिकीय सजीव
प्रश्न 2.
कोशिकीय संरचना का अभाव होता है
(अ) विषाणुओं में
(ब) जीवाणुओं में
(स) सभी-जन्तुओं में
(द) सभी पादपों में।
उत्तर:
(अ) विषाणुओं में
प्रश्न 3.
सरल आद्य एककोशिकीय जीव से लाखों-करोड़ों वषों में विभिन्न प्रकार के जीवों का बनना कहलाता है
(अ) रासायनिक विकास
(ब) जैव विकास
(स) आनुवंशिकता
(द) जीवाश्म विज्ञान।
उत्तर:
(ब) जैव विकास
प्रश्न 4.
पृथ्वी पर जीवन किसी अन्य ग्रह से सूक्ष्म जीवों की बौछार के रूप में आया। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का यह मत कहलाता है
(अ) कॉस्मोजोइक मत
(ब) स्वतः जननवाद
(स) धार्मिक विशेष सृष्टिवाद
(द) जैव रासायनिक सिद्धान्त।
उत्तर:
(अ) कॉस्मोजोइक मत
प्रश्न 5.
जीवन की उत्पत्ति के कॉस्मोजोइक मत के विरुद्ध सबसे बड़ा तर्क है
(अ) पृथ्वी से बाहर किसी अन्य ग्रह पर जीवन सम्भव नहीं
(ब) पृथ्वी के वायुमण्डल तक आते-आते जीव ऊष्मा व विकिरण से जीवित बचे नहीं रह सकते।
(स) पृथ्वी पर जल की मात्रा बहुत अधिक है।
(द) उपर्युक्त सभी कथन असत्य हैं।
उत्तर:
(ब) पृथ्वी के वायुमण्डल तक आते-आते जीव ऊष्मा व विकिरण से जीवित बचे नहीं रह सकते।
प्रश्न 6.
आद्य पृथ्वी के अपचायक वायुमण्डल के आधुनिक ऑक्सीकारक वायुमण्डल में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है
(अ) सरल कार्बनिक पदार्थ
(ब) जटिल कार्बनिक पदार्थ
(स) प्रकाश संश्लेषी जीवों की संख्या में वृद्धि
(द) प्रकाश संश्लेषी जीवों की संख्या में कमी।
उत्तर:
(स) प्रकाश संश्लेषी जीवों की संख्या में वृद्धि
सुमेलित कीजिए।
निम्नलिखित स्तम्भ A व B में मिलान कीजिए।
उत्तर:
1. (i) E, (ii) + F, (iii) + D, (iv) + A, (v) B. (vi)+C.
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1,
विषाणुओं का कौन-सा गुण उनको सजीवों में वर्गीकृत करने हेतु उत्तरदायी है ?
उत्तर:
उनकी जीवित कोशिका के अन्दर प्रतिलिपिकरण (प्रजनन) की क्षमता।
प्रश्न 2.
सभी सजीवों में कोशिकीय संगठन पाया जाता है। कौन से जीव इसके अपवाद हैं ?
उत्तर:
विषाणु।
प्रश्न 3.
उपापचय (metabolism) के दो प्रमुख प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
उपचय (artabolism) व अपचय (Catalholism)
प्रश्न 4.
किस वैज्ञानिक ने बताया कि पसीने से भीगी कमीज और गेहूं के भूसे को एक साथ रखने से 21 दिन में चूहे स्वतः उत्पन्न हो जाते हैं ?
उत्तर:
वॉन हेल्मोंट ने।
प्रश्न 5.
लुई पाश्चर से पहले स्वतः जननवाद को खण्डित करने का प्रयास किस वैज्ञानिक ने किया ?
उत्तर:
फ्रांसिस्को रेडी ने।
प्रश्न 6.
वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी की आयु लगभग कितने वर्ष है ?
उत्तर:
45 से 5 अरब वर्ष
प्रश्न 7.
आदिकालीन पृथ्वी का तापमान क्या था ?
उत्तर:
पृथ्वी के निर्माण के बाद आदिकालीन पृथ्वी का तापमान 5000 6000°C था।
प्रश्न 8.
आद्य पृथ्वी के वायुमण्डल को अपचायक क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
ऑक्सीजन की अनुपस्थिति तथा हाइड्रोजन जैसी अपचयकारी गैस के बाहुल्य के कारण।
प्रश्न 9.
आद्य पृथ्वी के गर्म समुद्र जल में किन सरल कार्बनिक पदार्थों के संयोग से कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल जैसे जटिल पदार्थों का संश्लेषण हुआ ?
उत्तर:
शर्कराएँ, ग्लिसरॉल, वसीय अम्ल, अमीनो अम्ल, प्यूरीन च पिरिमिडीन क्षारकों के संयोग से।
प्रश्न 10.
रासायनिक विकास में जीवन के उद्भव की आधारशिला रखने वाला पद कौन-सा था ?
उत्तर:
सरल अकार्बनिक पदार्थों से सरल कार्बनिक पदार्थों का तथा फिर उनसे जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण
प्रश्न 11.
आद्य पृथ्वी पर बने किस प्रकार के अणुओं में अनुलिपिकरण की क्षमता थी ?
उत्तर:
कुछ विशिष्ट न्यूक्लियोप्रोटीन्स (नाभिकीय अम्ल के यौगिकों) में अनुलिपिकरण (replication) की क्षमता थी।
प्रश्न 12.
आधुनिक पृथ्वी के वायुमण्डल में CO, व N, गैस कैसे बनीं ?
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषी सूक्ष्म जीवों द्वारा मुक्त ऑक्सीजन के मीथेन व अमोनिया के साथ क्रिया करने से CO, व N, गैस बनी।
प्रश्न 13.
किस वैज्ञानिक ने बताया कि ब्रह्माण्ड में आकाश गंगा एक-दूसरे से दूर होती जा रही हैं ?
उत्तर:
एडविन हबल ने
प्रश्न 14.
सौर मण्डल के कौन से ग्रह का वायुमण्डल C0 के घने बादलों का बना हुआ है ?
उत्तर:
शुक्र ग्रह का वायुमण्डल।
प्रश्न 15.
सौर मण्डल के किस ग्रहपर जीवन की सम्भावनाएँ व्यक्त की गई हैं ?
उत्तर:
मंगल ग्रह पर।
प्रश्न 16.
एम ओ एम (M0M) का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
मार्स आर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission)।
प्रश्न 17.
किन्हीं दो ग्रहों के नाम लिखिए जिनके वायुमण्डल में हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन व अमोनिया के बादल छाये हुए हैं।
उत्तर:
बृहस्पति व शनि ग्रह।
प्रश्न 18.
सूर्य के समान तारे का नाम लिखिए।
उत्तर:
केपलर 452 तारा।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जीवन की उत्पत्ति के आधुनिक मत के अनुसार जीवन की उत्पत्ति के विविध चरणों को एक फ्लोचार्ट के रूप में प्रस्तुत करें।
उत्तर:
जीवन की उत्पत्ति
प्रश्न 2.
जीवन की उत्पत्ति का स्वतः जनन का सिद्धान्त क्या है ? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर:
इस सिद्धान्त के अनुसार कीचड़, सूर्य का प्रकाश, सड़ा माँस, भुसा (Straw) आदि से जीवन का सृजन हो सकता है। वॉन हेल्मॉण्ट (1557-1644) नामक वैज्ञानिक ने बताया कि एक अलमारी में पसीने से भीगी गन्दी कमीज व गेहूं के दानों को रखने से तीन सप्ताह में चूहों की उत्पत्ति हो सकती है। उस काल में अधिकांश जीवों के जीवन चक्र के बारे में पर्याप्त जानकारी का अभाव था। अत: ऐसा माना गया कि निर्जीव पदार्थों से जीव स्वतः उत्पन्न हो जाते हैं। लुई पाश्चर ने अपने वैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा इस विचारधारा का पूर्णत: खण्डन किया।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जीवन की उत्पत्ति की आधुनिक अवधारणा किस वैज्ञानिक ने तथा क्या दी हैं ? समझाइये।
उत्तर:
जैव रासायनिक विकास (biochemical evolution) के सिद्धान्त को जीवन की उत्पत्ति की आधुनिक अवधारणा माना जाता है। इसे प्राथमिक अवैविक संश्लेषण (primary biogenesis) अथवा जीवन की उत्पत्ति का आधुनिक सिद्धान्त (Modern theory) भी कहा जाता है। जीवन की उत्पत्ति का आधुनिक मत रूसी वैज्ञानिक ए. आई. ऑपिरिन (A. I. 0parin) व स्काटिश वैज्ञानिक जे. बी. एस. हाल्डेन (J. B. S. Haldane) ने स्वतन्त्र रूप से प्रस्तुत किया। इन वैज्ञानिकों ने सुझाया कि प्रथम कार्बनिक अणुओं (Organic molecules) का निर्माण ऊर्जा के प्रबल स्रोतों की उपस्थिति में आद्य पृथ्वी पर हुआ होगा। सर विकिरण, पराबैगनी प्रकाश, आकाशीय विद्युत (lightning) आदि इस ऊर्जा के स्रोत रहे होंगे।
प्राथमिक अजैविक संश्लेषण द्वारा सरल अकार्बनिक पदार्थ कुछ छेटे कार्बनिक पदार्थों जैसे शर्करा, अमीनो अम्ल, न्यूक्लियोटाइड क्षारक (nucleotide bust) आदि में परिवर्तित हो गये होंगे। मिलर ने रासायनिक सिद्धान्त के पक्ष में प्रायोगिक प्रमाण दिये। उन्होंने एलानीन व ग्लाइसीन जैसे अमीनोअम्ल, ग्लिसराल व अन्य सरल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण आद्य पृथ्वी के वायुमण्डल में बनने के प्रमाण दिये। रासायनिक विकास का अर्थ है सरल अकार्बनिक पदार्थों से विभिन्न कार्बनिक पदार्थों का निर्माण तथा कार्बनिक पदार्थों से आद्य जीवन (primitive life) का सृजन
जीवन की उत्पत्ति की पूरी प्रक्रिया को आपेरिन ने 7 चरणों में विभाजित किया।