Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit व्याकरण वाच्यपरिवर्तनम्

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Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit व्याकरण वाच्यपरिवर्तनम्

Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit व्याकरण वाच्यपरिवर्तनम्

वाक्यों के कहने के ढंग को ‘वाच्य’ कहा जाता है । “वाक्य में कर्ता, कर्म, क्रिया में से किसकी प्रधानता है, इस बात को ज्ञान कराने की दशा को ‘वाच्य’ कहते हैं ।” संस्कृत में वाच्य के तीन भेद होते हैं –
(1) कर्तृवाच्य
(2) कर्मवाच्य और
(3) भाववाच्य ।

(1) कर्तृवाच्य – इसमें कर्ता की प्रधानता होने के कारण क्रिया का मुख्य सम्बन्ध कर्ता के साथ होता है । इनकी क्रिया कर्ता के पुरुष एवं वचन के अनुसार होती है । इसमें कर्ता प्रथमा विभक्ति में, कर्म द्वितीया विभक्ति में तथा क्रिया कर्ता के अनुसार होती है । यह वाच्य सकर्मक तथा अकर्मक दोनों ही क्रियाओं में होता है ।
जैसे – रवीन्द्रः पाठं पठति
मनुष्याः कथां शृण्वन्तिअहं पाठं स्मरामि

(2) कर्मवाच्य – इसमें कर्म की प्रधानता होने के कारण क्रिया सदैव कर्म के पुरुष और वचन के अनुसार होती है । इसमें कर्ता तृतीया विभक्ति में, कर्म प्रथमा विभक्ति में होता है। यह वाच्य केवल सकर्मक धातुओं में ही होता है, क्योंकि क्रिया सकर्मक होने पर ही वाक्य में कर्म का होना सम्भव है और जब कर्म होगा, तभी क्रिया कर्म के अनुसार आएगी ।
जैसे – रवीन्द्रेण पाठः पठ्यते । (रवीन्द्र द्वारा पाठ पढ़ा जाता है ।) मनुष्यैः कथा श्रूयते । (मनुष्यों द्वारा कथा सुनी जाती है।) मया पाठः स्मर्यते (मेरे द्वारा पाठे याद किया जाता है ।) परन्तु ‘बालकः रोदिति’ का कर्मवाच्य नहीं बनेगा क्योंकि वाक्य में कर्म नहीं है

(3) भाववाच्य – इसमें मात्र भाव अर्थात् क्रिया तत्त्व की ही प्रधानता होती है अर्थात् इसमें क्रिया का सम्बन्ध कर्ता अथवा कर्म से न होकर केवल भाव से ही होता है । अतः इसमें कर्ता (यदि है तो) तृतीया में होता है, कर्म होता ही नहीं तथा क्रिया भाव के अनुसार प्रथम पुरुष नपुंसक लिंग एकवचन में होती है । यह अकर्मक क्रियाओं में ही होता है।
जैसे – मया हस्यते । (मेरे द्वारा हँसा जाता है ।) बालकेन रुद्यते (बालक द्वारा रोया जाता है।) आदि । अतः कर्तृवाच्य का परिवर्तन यथा आवश्यक कर्मवाच्य एवं भाववाच्य दोनों में हो सकता है, परन्तु कर्मवाच्य और भाव वाच्य का परिवर्तन केवल कर्तृवाच्य में ही सम्भव है, परस्पर सम्भव नहीं । अर्थात् कर्मवाच्य को भाववाच्य में और भाववाच्य को कर्मवाच्य में नहीं बदला जा सकता ।
वाच्य-परिवर्तन की विधि – कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन करने के लिए वाक्य में कर्ता का तृतीया विभक्ति में तथा कर्म को प्रथमा विभक्ति में परिवर्तन करके कर्म के पुरुष एवं वचन के अनुसार कर्मवाच्य की क्रिया लगाते हैं ।
(i) रामः पाठं पठति (राम पाठ पढ़ता है ।) – कर्तृवाच्य (क्रिया सकर्मक)
रामेण पाठः पठ्यते । (राम द्वारा पाठ पढ़ा जाता है ।) – कर्मवाच्य
इसी प्रकार से कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाने के लिए भी कर्ता को तृतीया में परिवर्तित करके क्रिया को प्रथम पुरुष एकवचन (आत्मनेपद) में लगाते हैं । जैसे –
(i) बालकः हसति । (कर्तृवाच्य) – क्रिया अकर्मक
बालकेन हस्यते । (भाववाच्य)
(ii) वयं हसामः । (कर्तृवाच्य) – क्रिया अकर्मक
अस्माभिः हस्यते । (भाववाच्य)

अभ्यासः 1

(1) अधोलिखितानां वाक्यानां वाच्यपरिवर्तनं कृत्वा उत्तर पुस्तिकायां लिखत-
(निम्नलिखित वाक्यों का वाच्य परिवर्तन करके उत्तर पुस्तिका में लिखिए -)

प्रश्न 1.
(i) छात्रः पुरस्कारं गृह्णाति । छायाकारेण ……. रच्यते ।
(ii) छायाकार: छायाचित्रं रचयति । छात्रेण ……. गृह्यते ।
(iii) अहं लेखं लिखामि । मया ……………. लिख्यते ।
उत्तरम्:
(i) छत्रेण पुरस्कारः गृह्यते ।
(ii) छायाकारेण छायाचित्रं रच्यते ।
(iii) मया लेखः लिख्यते ।

प्रश्न 2.
(i) वृक्षाः फलानि ददति । वृक्षैः फलानि ………..
(ii) छात्राः गुरून् नमन्ति । छात्रैः ……………. नम्यन्ते ।
(iii) पापी पापं करोति । ……………. पापं क्रियते ।
उत्तरम्:
(i) वृक्षैः फलानि दीयन्ते
(ii) छात्रैः गुरवः नम्यन्ते ।
(iii) पापिना पापं क्रियते ।

प्रश्न 3.
(i) विद्या विनयं ददाति । विद्यया विनयः …………।
(ii) अहं पितरं सेवे । मया ……………. सेव्यते ।
(iii) त्वं माम् पृच्छसि । ……………. अहं पृच्छ्ये ।
उत्तरम्:
(i) विद्यया विनय: दीयते ।
(ii) मया पिता सेव्यते ।
(iii) त्वया अहं पृच्छ्ये ।

प्रश्न 4.
(i) नृपः शत्रु हन्ति । ……………. शत्रुः हन्यते ।
(ii)सर्पाः पवनं पिबन्ति । सः ……………. पीयते ।
(iii) वृद्धः वेदान् पठति । वृद्धेन वेदाः ……………. ।
उत्तरम्:
(i) नृपेण शत्रुः हन्यते ।
(ii) सर्पः पवनः पीयते ।
(iii) वृद्धेन वेदाः पद्यन्ते

प्रश्न 5.
(i) त्वं कथां शृणोषि । त्वया कथा ……………. ।
(ii) अहं मोहं त्यजामि । ………… मोहः त्यज्यते ।
(iii)रामेण जनकः प्रणम्यते । रामः ………. प्रणमति ।
उत्तरम्:
(i) त्वया कथा श्रूयते
(ii) मया मोहः त्यज्यते ।
(iii) रामः जनकं प्रणमति ।

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