Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 4 वर्षा समीर
Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 4 वर्षा समीर
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पाठ से
उच्चारण के लिए
चंद्रमा, तरुवर, अठखेलती, इठलाती, झकझोर।
नोट—छात्र-छात्राएँ स्वयं उच्चारण करें।
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
कविता में किसकी अठखेलियों का वर्णन है?
उत्तर:
कविता में बरसात की हवा की अठखेलियों का वर्णन है।
प्रश्न 2.
हुवा किससे खेलती है?
उत्तर:
हवा पहाड़ों के ढलान और मस्तक, आकाश, पाताल, तालाब के जल, नदी और झरनों की धारा, पेड़ों की डाल और घनी बेलों के साथ खेलती है।
प्रश्न 3.
हवा की सहेलियाँ कौन-कौन हैं?
उत्तर:
हवा की सहेलियाँ कोयल, पपीहा (मादा), मोरनी और मोर हैं।
लिखें
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इस कविता में वर्णन किया गया है
(क) गर्मी ऋतु का
(ख) वर्षा ऋतु का
(ग) शरद ऋतु का
(घ) वसंत ऋतु का
प्रश्न 2.
बरसात में हवा होती है
(क) आनंददायक
(ख) कष्टदायक
(ग) प्रचंड
(घ) शुष्क
उत्तर:
1. (ख)
2. (क)
निम्नलिखित शब्दों में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(बादलों, हर्ष, झकझोर, ढाल)
- वर्षा धुले आकाश से या ……….. की साँस से।
- आकाश से पाताल से ……….. लहराती हवा।
- यह शून्य से होकर नव ………. से आगे झपट्।
- यह खेलती है ………. से, ऊँचे शिखर के भाल से।
उत्तर:
- बादलों
- झकझोर
- हर्ष
- ढाल
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मधु सिक्त मदमाती वा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मधु सिक्त मदमाती हवा से अभिप्राय है, “बरसात की हवा मधुरता लिए हुए है और वह मस्त होकर बह रही है।”
प्रश्न 2.
बरसात की हवा किसके भाल से खेलती है?
उत्तर:
बरसात की हवा ऊँचे पहाड़ों की चोटियों से टकराकर बहती हुई आती है। पहाड़ों की चोटियों को ही कविता में पहाड़ों के भाल कहा है।
प्रश्न 3.
तरुमाल का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कविता में पेड़ों की पंक्तिबद्ध कतार को तरुमाल कहा है। बरसात की हवा पंक्तिबद्ध पेड़ों की डालों के साथ खेल रही है।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बरसात की हवा किस-किससे खेलती है?
उत्तर:
बरसात की हवा ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के मस्तक से होकर ढलान तक खेलती है, साथ-ही-साथ आकाश से लेकर पाताल तक जोर-जोर से लहराती हुई खेलती जाती है। बरसात की हवा तालाब के जल से और नदियों और झरनों की धाराओं के साथ खेलती हुई इस पार से उस पार तक खुशी के साथ झूमती हुई आती-जाती रहती है। हवा पेड़ों की पंक्तियों में जाकर उसकी हर डाल के साथ खेलती है। मुलायम घनी बेलों के साथ खुशियों के साथ इतराती हुई खेलती जाती है।
प्रश्न 2.
बरसात की हवा की क्या-क्या विशेषताएँ
उत्तर:
बरसात की हवा सबको खुशी प्रदान करती है। यह एकदम से नयी खुशी के साथ सबसे लिपटती हुई आनंद देती है। बरसात की ठंडी-ठंडी और सुगंध भरी हवा सभी को बहुत अच्छी लगती है। बरसात की हवा मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी बहुत प्रिय है, तभी तो इस ऋतु में कोयल और पपीहा गाने लगते हैं और मोर-मोरनी । नाचने लगते हैं। बरसात के बाद ही इंद्रधनुष दिखायी देता है। और कभी-कभी चंद्रमा के साथ बादल दिखायी देते हैं। बरसात की हवा लाल और पीले बादलों के साथ रंगों की रेल भी बनाती है।
प्रश्न 3.
वर्षा ऋतु में ही इंद्रधनुष क्यों दिखाई देता है?
उत्तर:
जब सूरज की किरणें वर्षा की बूंदों से टकराती हैं, तब वह बँदै एक पारदर्शी शीशे का काम करती हैं। इसलिए जब सफेद किरणें बूंद के पार निकलती हैं, तब वह सात रंगों में बँट जाती हैं। इसका आकार धनुष जैसा बन जाता है। इसे ही इंद्रधनुष कहते हैं। यही कारण है कि इंद्रधनुष वर्षा के पश्चात् सूर्य निकलने पर ही दिखायी देता है इसलिए यह वर्षा ऋतु में ही संभव है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
आकाश से ढाल से
साँस से भाल से
कविता की अन्तिम समान ध्वनि को तुक कहते हैं। प्रस्तुत कविता में ‘से’ तुक का प्रयोग किया गया है। इसी प्रकार समान ध्वनियों का प्रयोग करते हुए आप भी कविता की पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
नद-निर्झरों की धार से, इस पार से, उस पार से,
यह खेलती तरुमाल से, यह खेलती हर डाल से,
नव हर्ष से आगे झपट, हर अंग से जाती लिपट,
इसकी सहेली है पिंकी, इसकी सहेली है चातकी,
रंगती कभी यह इंद्र धनु, रंगती कभी यह चंद्र धनु,
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़िए
पीत घन, रक्त घन शब्दों में ‘पीत’ व ‘रक्त’ शब्द ‘घन’ विशेषण के प्रकार निम्नानुसार हैं
शब्द की विशेषता बता रहे हैं। इस प्रकार संज्ञा, सर्वनाम आदि की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। तथा जिसकी विशेषता बताई जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं।
आप भी निम्नलिखित शब्दों में से विशेषण व विशेष्य शब्द छाँटिए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए
महामानव, गुलाबी साड़ी, पाँच बालक, ठण्डी हवा
उत्तर:
क्र.सं. | शब्द | विशेषण | विशेष्य |
1. | महामानव | महा | मानव |
2. | गुलाबी साड़ी | गुलाबी | साड़ी |
3. | पाँच बालक | पाँच | बालक |
4. | ठंडी हवा | ठंडी | हवा |
वाक्यों में प्रयोग
- पं. दीनदयाल उपाध्याय एक महामानव थे।
- सीता ने एक गुलाबी साड़ी पहन रखी है।
- पाँच बालक पार्क में खेल रहे हैं।
- आज बहुत ठंडी हवा चल रही है।
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
‘बरसात की हवा ह्यल से, ऊँचे शिखर के भाल से, आकाश से पाताल से खेलती है, वैसे ही आप किस-किससे खेलना पसन्द करते हैं?
उत्तर:
हम प्राकृतिक नजारों के साथ खेलना पसंद करते हैं। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, पर्वत आदि से हमें बहुत-सी जानकारी मिलती है और यह नजारे में खुशहाली से जीवन जीने की भी प्रेरणा देते हैं। साथ-ही-साथ हम पारंपरिक खेलों के साथ खेलना पसंद करते हैं जैसे-कबड्डी, खो-खो, गुली-डंडा, छुपम छुपाई आदि जो कि हमारे मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक हैं।
प्रश्न 2.
ऋतुओं से हम क्या-क्या सीख सकते हैं?
उत्तर:
शीत ऋतु हमें मन से कोमल व दिमाग से ठंडे स्वभाव से रहना सिखाती है। पतझड़ का मौसम हमें अपनी बुराइयों को छोड़ने व अच्छाई को अपनाने का पाठ पढ़ाती है। वसन्त ऋतु हमें हर्षोल्लास से रहना सिखाती है। ग्रीष्म ऋतु हमें दूसरे लोगों को प्यार व गर्माहट से मिलना सिखाती है। वर्षा ऋतु सिखाती है कि हमें अपनी सुख-सुविधाओं को दूसरों पर बिखेरना और बाँटना चाहिए।
यह भी करें
1. पाठ में बरसात की हवा के बारे में जानकारी दी गई है। आप अपने शिक्षक/शिक्षिकाओं के सहयोग से ग्रीष्म ऋतु की हवा व वसंत ऋतु की हवा के बारे में जानकारी प्राप्त कर कविता के रूप में चार-चार पंक्तियाँ लिखिए।
ग्रीष्म ऋतु
ग्रीष्म ऋतु आयी है देखो, गर्म हवा सबको अकुलाये, पशु-पक्षी, पेड़ और पौधे, चैन न कोई पाये।
वसंत ऋतु
कोयल कूक रही बागों में, बगिया में फुलवारी, वसंत ऋतु आयी है देखो, हवा चली है प्यारी-प्यारी ।
यह भी जानें
1. हमारे देश में छह ऋतुएँ होती हैं-वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, शीत ऋतु, शिशिर ऋतु (हेमंत ऋतु)। वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस ऋतु में मौसम बहुत ही सुहावना होता है। फूलों की महक से वातावरण आनंददायक बन जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय
प्रश्न 1.
बरसात की हवा किसके भाल से खेलती है?
(क) पेड़ों के
(ख) ढलान के
(ग) शिखरों के
(घ) पाताल के
प्रश्न 2.
बरसात की हवा किसके जल से खेलती है?
(क) नदी के
(ख) समुद्र के
(ग) तालाब के
(घ) झील के।
प्रश्न 3.
इनमें से कौन बरसात की सखी नहीं है?
(क) कोयल
(ख) मादा मच्छर
(ग) मादा पपीहा
(घ) मोर
प्रश्न 4.
इंद्रधनुष में कितने रंग होते हैं?
(क) पाँच
(ख) छ:
(ग) सात
(घ) आठ
उत्तर:
1. (ग)
2. (ग)
3. (ख)
4. (ग)
रिक्त स्थान
(तरुमाल, इन्द्रधनुष, धार, चातकी, मधु सिक्त)
- यह खेलती सर-वारि से, नदी निर्झरों की ……. से।
- यह खेलती ……… से, यह खेलती हर डाल से।
- इसकी सहेली है पिकी, इसकी सहेली है ……….।
- रंगती कभी यह ………. रंगती कभी यह चन्द्रधनु।
उत्तर:
- धार
- तरुमाल
- चातकी
- इंद्रधनु
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि ने वर्षा समीर कविता में किसका वर्णन किया है?
उत्तर:
कवि ने वर्षा समीर कविता में बरसात की हवा का वर्णन किया है।
प्रश्न 2.
बरसात की आती हवा किससे सिक्त है?
उत्तर:
बरसात की आती हवा मधु-सिक्त है।
प्रश्न 3.
कोयल, मोरनी तथा पपीहा बरसात की हवा की। कौन है?
उत्तर:
कोयल, मोरनी तथा पपीहा बरसात की हवा की सखियाँ हैं।
प्रश्न 4.
इंद्रधनुष कब बनता है?
उत्तर:
बरसात होने के बाद जब सूर्य निकलता है तब आकाश में इंद्रधनुष बनता है।
प्रश्न 5.
‘यह खेलती सर-वारि से’, इस पंक्ति का क्या। अर्थ है?
उत्तर:
इस पंक्ति का अर्थ है, बरसात की हवा तालाब के जल से खेलती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्षा से किस-किस को कैसे लाभ होता है?
उत्तर:
वर्षा से पेड़-पौधों व पशु-पक्षियों को लाभ होता है। क्योंकि बरसात के पानी से ही उनका पोषण होता है। साथ-ही-साथ मनुष्यों को भी अनाज, फल और सब्जियाँ आदि की पैदावार में बरसात के पानी की बहुत आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.
इंद्रधनुष क्या होता है?
उत्तर:
इंद्रधनुष सात रंगों की अर्धचंद्राकार पट्टी होती है, जो कि वर्षा के पश्चात् सूर्य निकलने पर आकाश में दिखायी पड़ता है। यह साफ आकाश में ही दिखता है और कुछ समय के बाद गायब हो जाता है। इसका दृश्य बहुत मनमोहक होता
प्रश्न 3.
बरसात की हवा में मधुसिक्त कैसे होती है?
उत्तर:
बरसात की बूंदें जब पृथ्वी पर गिरती हैं तब उन बूंदों के द्वारा मिट्टी, पेड़, पौधे आदि सब भीग जाते हैं जिससे उनसे एक भीनी-भीनी सुगंध आने लगती है। यह सुगंध ऐसी प्रतीत होती है जैसे उसमें मिठास भरी हुई है।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि के वर्णन से आपको बरसात की हवा कैसी प्रतीत होती है ?
उत्तर:
कवि द्वारा बरसात की हवा का जो वर्णन किया गया है उससे हमें वह एक छोटे बच्चे जैसी प्रतीत होती है। जैसे एक छोटा बच्चा दीन दुनिया से बेखबर अपनी ही धुन में मगन रहता है और सभी चीजों के साथ खेलता रहता है, उसी प्रकार बरसात की हवा भी अपने प्राकृतिकरूपी खिलौनों के द्वारा रखेलती रहती है। बरसात की हवा मतवाली होकर इधर से उधर स्वच्छंद होकर घूमती-फिरती है और खुश रहती है।
प्रश्न 2.
बरसात की सखियाँ कौन-कौनसी हैं? संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
बरसात एक ऐसी ऋतु है जो सबको बहुत आनंदित करती है। बरसात की हवा की सखियों के बारे में जैसा कवि ने कहा है कि कोयल, पपीहा, मोर और मोरनी हैं लेकिन इनके अलावा भी बरसात के कई मित्र हैं। बरसात को देखकर मेंढक भी बहुत खुश होते हैं और टर्र-टर्र की आवाज से खुशी जाहिर करते हैं। इसके साथ ही झिल्ली भी झन-झन करके खुशी का इजहार करती है। कीड़े-मकोड़े भी बरसात को पसंद करते हैं। बरसात पेड़-पौधों की भी घनिष्ठ मित्र होती है। उसकी वजह से ही वे पनप पाते हैं और इन सब से ज्यादा बरसात और उसकी हवा को मनुष्य पसंद करते हैं।
पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भावार्थ
(1)
बरसात की आती हवा, वर्षा धुले आकाश से,
या चंद्रमा के पास से, या बादलों की साँस से,
मधु सिक्त मदमाती हवा, बरसात की आती हवा॥
कठिन शब्दार्थ
वर्षा = बरसात। आकाश = आसमान। मधु = मिठास । सिक्त = भरी हुई। मदमाती = मस्त होकर।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘वर्षा समीर’ नामक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंश राय बच्चन हैं। इन पंक्तियों में कवि ने बरसात के बाद में बहने वाली हवा का बड़ी सुंदरता से वर्णन किया है।
व्याख्या/भावार्थ—इन पंक्तियों में कवि को बरसात होने के बाद आने वाली हवा का अहसास हो रहा है। वह अनुमान लगाते हैं कि यह हवा कहाँ-कहाँ से होकर जमीन पर आयेगी। कवि कहते हैं कि यह वा वर्षा से धुले हुए आकाश से या चंद्रमा के पास से या यह हवा बादलों की साँस ही है। यह बरसाती हवा मधुरता लिए मस्त होकर बहने वाली हवा है।
(2)
यह खेलती है ढाल से, ऊँचे शिखर के भाल से,
आकाश से पाताल से, झकझोर लहराती हवा,
बरसात की आती हवा॥
कठिन शब्दार्थ
ढाल = ढलान/उतार। शिखर = पहाड़। भाल = मस्तक । पाताल = जमीन के नीचे। झकझोर = जोर-जोर
प्रसंग—प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘वर्षा समीर’ नामक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंशराय बच्चन हैं। इन पंक्तियों में कवि ने बरसात की हवा के खेलने का वर्णन किया है।
व्याख्या/भावार्थ—इन पंक्तियों में कवि कहता है कि बरसात की हवा ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के ढलान से और उनके मस्तक रूपी शिखरों से खेलती है। यह बरसात की हवा आकाश से पाताल तक सबको जोर-जोर से हिलाकर लहराती हुई खेलती हुई आती है।
(3)
यह खेलती सर-वारि से, नद-निर्झरों की धार से,
इस पार से, उस पार से, झुक-झूम बल खाती हवा,
बरसात की आती हवा॥
कठिन शब्दार्थ
सर = तालाब। वारि = जल। नद= नदी। निर्झरों = झरने। धार = लहरें। झुक-झुम = खुशी से। बलखाती = इतराना।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘वर्षा समीर’ नामक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंश राय बच्चन हैं। इन पंक्तियों में कवि ने बरसात की हंवा किस-किसके साथ खेलती है, का वर्णन किया है।
व्याख्या/भावार्थ—इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि बरसात की हवा तालाब के जल से और नदी और झरनों की धाराओं के साथ खेलती है। वह तालाब,नदी, निर्झरों इन सबके इस पार से उस पार तक खुश होकर इतराती हुई बहती है।
(4)
यह खेलती तरु माल से, यह खेलती हर डाल से,
लोनी लता के जाल से, अठखेलती इठलाती हवा,
बरसात की आती हवा॥
कठिन शब्दार्थ
तरुमाल = पेड़ों की कतार। डाल = पेड़ की डाली। लोनी = कोमल। लता = बेल। जाल = घनी। अठखेलती = खुशियों के साथ। इठलाती = इतराती।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘वर्षा समीर’ नामक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंशराय बच्चन हैं। इन पंक्तियों में कवि बरसात की खुशी का वर्णन करता है।
व्याख्या/भावार्थ—इन पंक्तियों में कहा गया है कि बरसात की हवा पेड़ों की कतार में उसकी हर डाल के साथ खेलती है। यह घनी कोमल बेलों के साथ खुश होकर इतराती हुई खेलती हुई आती है।
(5)
यह शून्य से होकर प्रकट, नव हर्ष से आगे झपट,
हर अंग से जाती लिपट, आनंद सरसाती हवा,
बरसात की आती हवा॥
कठिन शब्दार्थ
शून्य = आकाश। प्रकट = उत्पन्न्। नव = नया। हर्ष = खुशी, प्रसन्न। झपट = बढ़ना। अंग = शरीर, मनुष्य। आनन्द = खुशी। सरसाती = फैलाती।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘वर्षा समीर’ नामक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंश राय बच्चन हैं। इन पंक्तियों में कवि बरसात की हवा के गुणों के बारे में वर्णन करते हैं।
व्याख्या/भावार्थ—कवि कहते हैं कि बरसात की हवा खुले आकाश से मानो शून्य से प्रकट होकर नयी खुशी के साथ आगे की ओर बहती है और सबसे लोगों के शरीरों से लिपटती हुई खुशी के साथ बहती चली आती हैं।
(6)
इसकी सहेली हैं पिकी, इसकी सहेली हैं चातकी,
संगिनी शिखीन, संगी शिखी, यह नाचती-गाती हवा,
बरसात की आती हवा॥
कठिन शब्दार्थ
पिकी = कोयल। सहेली = सखी। चातकी = पपीहा (मादा)। सिखीन = मोरनी। सिखी = मोर। संगिनी = साथ में रहने वाली।
प्रसंग—प्रस्तुत पाठ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘वर्षा समीर’ नामक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंशराय बच्चन हैं। इन पंक्तियों में बरसात की सखियों के बारे में बताया गया है।
व्याख्या/भावार्थ—बरसात की हवा की सखियाँ कोयल, पपीहा, मोर और मोरनी हैं। इन सब के साथ हा नाचते-गाते बहती चली आती हैं। अर्थात् बरसात की हवा सभी पक्षियों की आनंदित करती हुई बहती है।
(7)
रंगती कभी यह इंद्र धनु, रंगती कभी यह चंद्र धनु,
पीत घन, अब रक्त घन, रंगरेल लहराती हवा,
बरसात की आती हवा॥
कठिन शब्दार्थ
रंगती = बनाती है। इंद्रधनु = सात रंग की धनुष की आकृति (यह बरसात के बाद आकाश में दिखायी देती है)। चंदधनु = चंद्रमा की आकृति वाला धनुष। पीत घन = पीले बादल। रक्तघन = लालिमा युक्त बादल। रंगरेल = रंगों की बनी हुई रेल।
प्रसंग— प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक की ‘वर्षा समीर’ नामक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता हरिवंशराय बच्चन हैं। इन पंक्तियों में बरसात की हवा के कितने रंग हैं, इस बारे में बताया गया है।
व्याख्या/भावार्थ—बरसात की हवा कभी सात रंग वाला इंद्रधनुष बनाती है या कभी सुनहरी चंद्रमा की किरणों को स्पर्श करती है कभी पीले बादलों या कभी लाल बादलों के साथ मिलकर उन्हें इधर-उधर उड़कर रेल बनाकर बहती हुई आती रहती है।