Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi व्याकरण अपठित गद्यांश
Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi व्याकरण अपठित गद्यांश
निर्धारित पाठ्यक्रम के बाहर की विषयवस्तु अपठित कहलाती है। अपठित गद्यांश में प्रायः गद्यांश का शीर्षक, गद्यांश से संबंधित प्रश्नों तथा गद्यांश का सारांश पूछा जाता है।
(1)
महाराणा प्रताप का भारतीय इतिहास में प्रमुख स्थान है। वे वीर एवं साहसी योद्धा थे। उन्होंने मेवाड़ की रक्षा के लिए ही अपना पूरा जीवन लगा दिया। राज्य का सुख और वैभव छोड़कर उन्होंने जंगलों में भटकना और दर-दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया, परंतु अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। उन्होंने अकबर की साम्राज्यवादी नीतियों का विरोध करते हुए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। भारतीय इतिहास में उनका नाम वीर शिरोमणि के रूप में गौरव के साथ लिया जाता है।
प्रश्न
1. उक्त अवतरण का शीर्षक लिखिए।
2. महाराणा प्रताप ने किसका विरोध करते हुए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया ?
3. उक्त अवतरण का सारांश लिखिए।
उत्तर:
1. शीर्षक-वीर शिरोमणि राणा प्रताप।
2. अकबर की साम्राज्यवादी नीतियों का विरोध करते हुए महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
3. सारांश-भारतीय इतिहास के गौरव वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार करने की अपेक्षा जंगलों में भटकना एवं दर-दर की ठोकर खाना ज्यादा अच्छा समझा। मेवाड़ की रक्षा के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया।
(2)
पर्यावरण को स्वच्छ रखने में वन्यजीवों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई एवं पशु-पक्षियों के गैरकानुनी शिकार के कारण इनमें कमी आई हैं। यहाँ तक कि इनकी अनेक प्रजातियाँ आज लुप्तप्राय-सी होती जा रही हैं। इनकी सुरक्षा व संरक्षण को ध्यान में रखकर सन् 1972 ई. में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम बना, जिसके अंतर्गत वन्यजीवों के आखेट और उनके व्यापार पर रोक लगाकर इसे दंडनीय अपराध घोषित किया गया। इस प्रकार दुर्लभ एवं लुप्त होने वाले वन्यजीवों की जातियों के संरक्षण के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। अनेक राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्यों का विकास किया गया है।
प्रश्न
1. उक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
2. वन्यजीवों की संख्या में कमी क्यों आई है?
3. उक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर:
1. शीर्षक-वन्यजीवों का संरक्षण।
2. पेड़ों की कटाई व वन्यजीवों के गैर कानूनी शिकार के कारण वन्यजीवों की संख्या में कमी आयी है।
3. सारांश-पेड़ों की अत्यधिक कटाई व वन्यजीवों के शिकार के कारण उनमें कमी आने से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ा। अतः 1972 में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम बनाकर वन्यजीवों के शिकार पर रोक लगा दी गयी। राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्यों के विकास द्वारा वन्यजीवों की रक्षा के उपाय किए गये हैं।
(3)
संसार में वे लोग बड़े अभागे होते हैं जो अपने देश या मातृभूमि को प्यार नहीं करते। स्वदेश-प्रेम से शून्य मनुष्य जीता हुआ भी मृतक के समान है। वह पृथ्वी का भार है। ऐसे व्यक्तियों से पृथ्वी कलंकित होती है। जिस पानी में मछली उत्पन्न होती है, मरते दम तक उसका साथ नहीं छोड़ती। वह पानी से अलग होने पर अपने प्राण दे देती है, तो क्या वह मनुष्य जिसे अपने देश, अपनी भाषा एवं अपने देश की संस्कृति से प्यार नहीं है, साधारण जानवर से भी गया-बीता नहीं है ? जिस देश में हमने जन्म लिया है, उसके प्रति देशभक्ति होना, उसकी सेवा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है।
प्रश्न
1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
2. कैसा मनुष्य साधारण जानवर से भी गया-बीता हैं ?
3. उपर्युक्त गद्यांश का सारांश निखिए।
उत्तर:
1. शीर्षक–स्वदेश-प्रेम।।
2. जिसे अपने देश, अपनी भाषा तथा अपने देश की संस्कृति से प्रेम नहीं है, ऐसा मनुष्य साधारण जानवर से भी गया-बीता है।
3. सारांश-मातृभूमि से प्रेम नहीं करने वाले व्यक्ति अभागे और मृततुल्य हैं। देश, भाषा और संस्कृति से प्यार न करना पशुता से भी निम्नकोटि का आचरण है। अत: देशप्रेम व देश की सेवा मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है।
(4)
किसी देश की आर्थिक उन्नति उसके उद्योग धंधों पर निर्भर करती हैं। उद्योग-धंधे उस देश में पाए जाने वाले खनिज की मात्रा पर आधारित होते हैं। इस दृष्टि से हमारा देश अत्यंत समृद्धिशाली है। हमारे यहाँ के भूगर्भ में अनेक प्रकार के खनिज भरे पड़े हैं। यदि हम इन खनिजों का उचित ढंग से उपयोग करें तो हम औद्योगिक दृष्टि से आत्म-निर्भर हो सकते हैं। छोटा नागपुर के पठार में खनिजों का भंडार है। हम अपने देश से अभ्रक, मैंगनीज, ग्रेनाइट आदि खनिजों का निर्यात करते हैं। शोरा, कोयला, लोहा, जिप्सम आदि खनिजों में हम आत्मनिर्भर
प्रश्न
1. उक्त अवतरण का शीर्षक लिखिए।
2. हम किन खनिजों का निर्यात करते हैं ?
3. उक्त अवतरण का सारांश लिखिए।
उत्तर:
1. शीर्षक उद्योग-धंधे और खनिज।
2. हम अभ्रक, मैंगनीज, ग्रेनाइट आदि खनिजों का निर्यात करते हैं।
3. सारांश देश की आर्थिक उन्नति उस देश के उद्योगधंधों पर निर्भर है। देश में जितने खनिज पदार्थ होंगे उतने ही उद्योग-धंधे पनपेंगे। हमारे देश में अनेक खनिज पाए जाते हैं, यदि उनका उपयोग सही तरह से हो तो देश बहुत उन्नति कर सकता है।
(5)
चरित्र-निर्माण जीवन की सफलता की कुंजी है। जो मनुष्य अपने चरित्र की ओर ध्यान देता है, वही जीवन क्षेत्र में विजयी होता है। चरित्र-निर्माण से मनुष्य के भीतर एक ऐसी शक्ति जाग्रत होती है, जो उसे जीवन संघर्ष में विजयी बनाती है। ऐसा व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। वह जहाँ कहीं भी जाता है, अपने चरित्र की शक्ति से अपना प्रभाव स्थापित कर लेता है। वह सहस्रों और लाखों के बीच में भी अपना अस्तित्व रखता हैं। उसे देखते ही लोग उसके व्यक्तित्व के सम्मुख अपना मस्तक झुका लेते हैं। उसके व्यक्तित्व में सूर्य को तेज और आँधी को गति होती हैं।
प्रश्न
1. उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
2. चरित्र-निर्माण से मनुष्य में कैसी शक्ति जाग्रत होती है ?
3. उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर:
1. शीर्षक : ‘चरित्र-निर्माण।।
2. चरित्र-निर्माण से मनुष्य में जीवन संघर्ष में विजयी बनने की शक्ति जाग्रत होती है।
3. मनुष्य अपने चरित्र से ही अपने जीवन के संघर्षों का सामना करके सफलता प्राप्त करता है। चरित्र से ही वह अपना प्रभाव समाज तथा राष्ट्र में स्थापित कर पाता है। चरित्रवान व्यक्ति के तेज के आगे सभी नतमस्तक हो जाते
(6)
सद्ग्रंथ मानव जीवन की अमूल्य निधि हैं। इस निधि की समता में समाज के पास अन्य कोई संपत्ति नहीं है। मानव अपने जीवन के लिए जो कुछ भी उत्तम की प्राप्ति करता है, उसमें सद्ग्रंथों का ही विशेष योगदान है। उत्तम ग्रंथ पुस्तकालय की शोभा मात्र ही नहीं, वरन् मानवीय गुणों के विकास में ये प्रमुख भूमिका निभाते हैं। आप किसी भी विषय की अच्छी पुस्तक लीजिए, वह आपकी ज्ञान-वृद्धि करेगी और आपकी चिर-पिपासा शांत करेगी। जीवन के ऊँचे आदर्शों की स्थापना भी ये ग्रंथ-रत्न करते हैं। सत्यम्, शिवम् और सुंदरम् की त्रिवेणी का स्रोत इन्हीं ग्रंथों में है। ये ग्रंथ मानव जीवन के सच्चे साथी और एकमात्र हितैषी हैं। मानव एक-दूसरे को धोखा दे सकते हैं, किंतु एक अच्छा ग्रंथ सर्वोच्च सुख की अनुभूति प्रदान करता है।
प्रश्न
1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
2. उत्तम ग्रंथ क्या करते हैं ?
3. उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर:
1. शीर्षक : ‘उत्तम ग्रंथों का मूल्य’।
2. उत्तम ग्रंथ मानवीय गुणों का विकास करते हैं।
3. उत्तम ग्रंथ सबसे मूल्यवान होते हैं। ये हमें ज्ञान प्रदान करने के अतिरिक्त हमारे मानवीय गुणों का विकास करते हैं। जीवन के उच्च आदर्शों की स्थापना भी इनके द्वारा ही होती है। ये मानव के सच्चे मित्र हैं।
(7)
राजस्थान की धरती ने भारत की वीर-माला के लिए जो बहुमूल्य रत्न प्रदान किए हैं, उनमें महाराणा प्रताप को सुमेरु मणि कहा जाय तो अतिशयोक्ति न होगी। वीरता का मापदंड क्या केवल युद्ध में विजयी होना है ? नहीं, वीरता तो एक अदम्य वीरभाव है, निरंतर चुनौतियों से जूझने का उत्साह है, स्वाभिमान के साथ सिर उठाकर जीने का दृढ़ संकल्प है। वीरता तो कठिन परीक्षाओं में धैर्य और साहस के साथ जीने की अनुकरणीय जीवन-शैली है। उपर्युक्त कसौटियों पर कसे जाने पर महाराणा प्रताप विशुद्ध कुंदन प्रमाणित होते हैं। वह स्वाभिमान का सौदा कस्ले के बजाय शक्तिशाली शत्रु को रणभूमि में ललकारते हैं। पराधीनता से कलकत राजवैभव को भोगने की अपेक्षा वह वन-वन भटकना, भूखे रहना और प्राण प्रिय पुत्री को बिछोह स्वीकार करते हैं। राणा तो स्वयं वीरता के मानदंड हैं तथा स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्श हैं।
प्रश्न
1. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
2. वीरता क्या है ?
3. उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर:
1. शीर्षक: ‘वीरता का मूल्य’।
2. वीरता का तात्पर्य युद्ध में विजय पाना ही नहीं है। अपितु यह तो स्वाभिमान के साथ सिर उठाकर जीने का संकल्प है।
3. राजस्थान ने अनेक वीर पुरुषों को जन्म दिया है। उनमें राणा प्रताप का नाम सर्वोच्च शिखर पर है। वह वीरता की प्रतिमूर्ति थे। कलकत पराधीनता की अपेक्षा स्वतंत्रता के लिए उन्होंने असहनीय दु:ख सहना स्वीकार किया।